भारत और जापान को जंग की धमकी दे रहे चीन के खिलाफ अब म्यांमार ने जमकर भड़ास निकाली है। म्यांमार आर्मी चीफ ने तल्ख लहजे में चीन को चेतावनी देते हुए कहा कि वह यहां के आतंकी समूहों को हथियार न दे।
चीन की तरफ से सेना के दो डिविजन की मुस्तैदी इंडियन बॉर्डर पर की गई है। इसके जवाब में भारतीय सेना ने भी बॉर्डर पर अपनी तैनाती बढ़ाई है। ऐसे में इन हालातों के बीच भारतीय सेना को इस बात का अंदेशा है कि दोनों देशों के बीच चल रहा तनाव अक्टूबर तक चल सकता है।
चीन अब आतंकवादियों की मदद लेने से पीछे नहीं हट रहा
दरअसल भारत में शांति व्यवस्था भंग करने की मंशा से चीन अब आतंकवादियों की मदद लेने से भी गुरेज नहीं कर रहा है। स्थानीय लाइसस समाचार की एक रिपोर्ट के मुताबिक, चीन म्यांमार के आतंकी संगठनों को पैसे और आत्याधुनिक हथियार की आपूर्ति कर रहा है।
सूत्रों के मुताबिक, चीन अराकन सेना के खर्चे का लगभग 95 प्रतिशत तक दे रहा है। अराकान सेना के पास लगभग 50 मैनपैड्स (मैन-पोर्टेबल एयर डिफेंस सिस्टम) सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें हैं।
जनरल ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से सहयोग की मांग की
दक्षिण-पूर्व एशिया की जानकारी रखने वाले एक सैन्य सूत्र ने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा कि चीन की रणनीति अपने प्रभाव को अपनी सीमा के दक्षिण में अच्छी तरह से धकेलने के लिए है। अराकान सेना को समर्थन देने की इस रणनीति ने चीन को पश्चिमी म्यांमार यानी भारत-म्यांमार सीमा की ओर अपने प्रभाव क्षेत्र का विस्तार करने में सक्षम बनाया है।
जनरल ने इसे लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय से सहयोग की भी मांग की। दक्षिण पूर्व एशिया में म्यांमार चीन का सबसे करीबी पड़ोसी माना जाता है।
म्यांमार के सैन्य प्रवक्ता ब्रिगेडियर जनरल जॉ मिन टुन ने बाद में म्यांमार के सशस्त्र बलों के कमांडर-इन-चीफ द्वारा की गई टिप्पणी पर विस्तार से बताया। प्रवक्ता ने कहा कि सेना प्रमुख अराकान आर्मी (एए) और अराकान रोहिंग्या साल्वेशन आर्मी (एआरएसए) का जिक्र कर रहे थे। यह दोनों आतंकी संगठन चीन से सटे पश्चिमी म्यांमार में राखिन राज्य में सक्रिय संगठन हैं।
चीन नहीं चाहता है कि म्यांमार में भारतीय प्रभाव बढ़े
एक ऑस्ट्रेलियाई विद्वान ने कहा, “चीन दक्षिण एशिया में एक बहुआयामी खेल-खेल रहा है। चीन भारत को कमजोर करना चाहता है। भारत पाकिस्तान संबंध अच्छे नहीं हैं और म्यांमार को नया दुश्मन बनाना चाहता है। एक भारतीय सूत्र के अनुसार, चीन नहीं चाहता है कि म्यांमार में भारतीय प्रभाव बढ़े। वह एकाधिकार चाहता है। म्यांमार में भारत के निर्माण के खिलाफ अराकान सेना का चीन का समर्थन स्पष्ट रूप से काफी प्रभावी रहा है।”
म्यांमार में सक्रिय आतंकी संगठन सुरक्षाबलों पर हमला करने के लिए चीन के बने हथियारों का प्रयोग करते हैं। कहा जाता है कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी म्यांमार में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए इन आतंकी समूहों को हथियार सप्लाई करवाती है। इन आतंकी समूहों के चीनी सेना के साथ भी घनिष्ठ संबंध हैं।