बड़ी गिरावट की ओर भारत की इकोनॉमी, फिच का अनुमान- इस साल 10.5% गिरेगी

0
455

रेटिंग एजेंसी फिच ने अनुमान लगाया है कि इस वित्त वर्ष यानी 2020-21 में भारतीय अर्थव्यवस्था में 10.5 फीसदी की भारी गिरावट आ सकती है. यानी जीडीपी ग्रो​थ माइनस 10.5 फीसदी हो सकती है. गौरतलब है कि कोरोना संकट की वजह से देश की जून तिमाही की ​जीडीपी में 23.9 फीसदी की गिरावट आई है.

यह भारत के आधुनिक इतिहास की सबसे बड़ी गिरावट थी. मार्च में कठोर लॉकडाउन लगाने की वजह से अर्थव्यवस्था में यह भारी गिरावट आई है. फिच ने कहा, ‘अर्थव्यवस्था के फिर से खुलने के बाद अक्टूबर से दिसंबर की तीसरी तिमाही में जीडीपी में मजबूत सुधार होना चाहिए, लेकिन संकेत तो इस बात के दिख रहे हैं कि सुधार की गति धीमी और असमान होगी.

गौरतलब है कि देश के सकल घरेलू उत्पाद में जून तिमाही में करीब 24 फीसदी की गिरावट आई है. इसको देखते हुए जानकार इस बात की मांग करने लगे हैं कि अर्थव्यवस्था के लिए दूसरा राहत पैकेज आना चाहिए. सरकार एक दूसरे बड़े राहत पैकेज ला सकती है, लेकिन यह शायद तब तक न हो, जब तक बाजार में कोरोना का टीका नहीं आ जाता.

जून तिमाही में आई थी बड़ी गिरावट 

कोरोना संकट की वजह से अप्रैल से जून की इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 23.9 फीसदी की ऐतिहासिक गिरावट आई है. यानी जीडीपी में करीब एक-चौथाई की कमी आ गई है.

पहली तिमाही में स्थिर कीमतों पर यानी रियल जीडीपी 26.90 लाख करोड़ रुपये की रही है, जबकि ​पिछले वर्ष की इसी अवधि में यह 35.35 लाख करोड़ रुपये की थी. इस तरह इसमें 23.9 फीसदी की गिरावट आई है. पिछले साल इस दौरान जीडीपी में 5.2 फीसदी की बढ़त हुई थी.

आर्थिक तरक्की का पैमाना

किसी देश की सीमा में एक निर्धारित समय के भीतर तैयार सभी वस्तुओं और सेवाओं के कुल मौद्रिक या बाजार मूल्य को सकल घरेलू उत्पाद (GDP) कहते हैं. यह किसी देश के घरेलू उत्पादन का व्यापक मापन होता है और इससे किसी देश की अर्थव्यवस्था की सेहत पता चलती है.

जीडीपी आर्थिक तरक्की और वृद्धि का पैमाना होती है. जब अर्थव्यवस्था मजबूत होती है तो बेरोजगारी कम रहती है. लोगों की तनख्वाह बढ़ती है. कारोबार जगत अपने काम को बढ़ाने के लिए और मांग को पूरा करने के लिए ज्यादा से ज्यादा लोगों की भर्ती करता है.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here