उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा आगरा में गारमेंट हब बनाने के निर्णय का स्वागत करते हैं. गर्मेन्टिंग रोज़गार पारक सेक्टर है.
आगरा जूते का बहुत बड़ा निर्यातक है. जितने भी अंतर्राष्ट्रीय ब्रांड जूता लेते हैं वो सभी रेडीमेड वस्त्र भी खरीदते हैं.
इंटरनेशनल स्तर का गारमेंट पार्क,बनाने का आगरा को फायदा मिलेगा. विदेशी बायेर जूते के साथ सिले हुए कपडे भी आगरा से खरीदेगा.शहर में और बहुत सारी सहायक इकाईयों का भी रास्ता खुलेगा.
आगरा में बहुत से स्किल्ड जातियां हैं जो सिलाई के कार्य में दक्ष हैं और वो लोग आगरा के बाहर उन शहरों में कार्य कर रहि हैं जहाँ सिले हुए वस्त्रों का निर्माण होता है. उन लोगों के लिए भी अपने शहर लौटने का अवसर प्रदान करेगा.
१९९० के दशक में गारमेंट इंडस्ट्री को स्माल स्केल इंडस्ट्री के स्टेटस से मुक्त कर दिया गया था. तब से भारत में बड़े बड़े गारमेंट यूनिट्स की स्थापना शुरू हुई. हम सब मिलकर , खास कर जूते के निर्यातक अपने ख़रीदार से बात कर उन से भी यूनिट लगाने या सौर्सिंग इकाई लगाने की बात कर सकते हैं; भारत के बड़े ब्राँड की यूनिट जो उत्तर भारत में डिस्ट्रीब्यूशन के लिए लाभकारी हो सकती है. आगे चल कर हम बांग्लादेश के बड़े गारमेंट फ़ैक्टरी मालिकों को भी आगरा बुला कर बिज़नेस के नए आयाम स्थापित कर सकते हैं. भारत कपडे के बैग का भी बहुत बड़ा निर्यातक है, साथ ही बैग का लोकल मार्किट भी है.
सरकार, जन प्रतिनिधि , आगरा के बिज़नेस लीडर्स और जनता को साथ मिल कर कार्य करना होगा. और इस को स्थापित करने का रोड मानचित्र बनाना होगा.
में अपने अनुभव से कह सकता हूँ सारी परिस्तिथियों को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार का यह सही निर्णय है. मैंने भारत के अलावा बांग्लादेश में काम किया है. जहाँ महिलाओं का बहुत योगदान रहता है. दक्षिण भारत के भी यूनिट्स में महिलाएं बहुमत में कार्य करती हैं. मुझे उम्मीद है, आगरा में भी ऐसा होगा क्यों की महिला प्राकृतिक रूप से यह काम सफाई और मेहनत से कर सकती है.